भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे “चिकन नेक” भी कहा जाता है, आजकल एक बार फिर से वैश्विक रणनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है। हाल ही में आई रिपोर्ट्स और सैन्य गतिविधियों से संकेत मिलता है कि चीन इस संवेदनशील इलाके के पास तेजी से अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। बांग्लादेश के लालमुनीरहाट में स्थित एक पुराना एयरबेस, जो भारत की सीमा से महज 15 किलोमीटर दूर है, अब चीन की निगाहों में है। क्या यह भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौती का संकेत है? यह सवाल अब अधिक गंभीर होता जा रहा है, खासकर जब टर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की गतिविधियां भी इस क्षेत्र में बढ़ रही हैं।
By-Sanjeet Choudhary
तीस्ता प्रहार: भारत का सैन्य अभ्यास और संकेत
हाल ही में भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास तीस्ता प्रहार नाम का युद्ध अभ्यास किया। इसके बाद भारत ने नॉर्थ-ईस्ट से बांग्लादेश के साथ टेक्सटाइल व्यापार रोक दिया। साथ ही, एक महत्वपूर्ण खबर आई कि चीन के अधिकारी बांग्लादेश के लालमुनीर हवाई अड्डे का सर्वे करने पहुंचे। यह हवाई अड्डा भारत की सीमा से सिर्फ 12-15 किमी दूर है और द्वितीय विश्व युद्ध के समय का है।
लालमुनीरहाट एयरबेस Lalmonirhat Airport: चीन की नई योजना
चीन इस पुराने लालमुनीर हवाई अड्डे को दोबारा शुरू करने की योजना बना रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी अधिकारी इसकी जांच कर चुके हैं। बांग्लादेश के नेता मोहम्मद यूनुस चाहते हैं कि चीन इस प्रोजेक्ट में ज्यादा शामिल हो, भारत की जगह। चीन इस हवाई अड्डे को आधुनिक बनाकर बांग्लादेश को JF-17 थंडर जैसे विमान दे सकता है। सैटेलाइट तस्वीरों में अभी खेत दिखते हैं, लेकिन इसकी हवाई पट्टी में आधुनिक हवाई अड्डा बनने की संभावना है।

बांग्लादेश की मजबूरी?
बांग्लादेश आर्थिक रूप से कमजोर है और उसे लोन चाहिए। चीन मुफ्त में मदद नहीं करेगा, बल्कि बदले में कुछ लेगा। इससे डर है कि इस हवाई अड्डे की मालिकी भी चीन के पास जा सकती है।
पूर्व नाटो अधिकारी की चेतावनी
पूर्व नाटो अधिकारी हरुण ने ट्विटर पर चेतावनी दी कि यह क्षेत्र भारत के लिए बड़ा खतरा बनेगा। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थिति भारत के खिलाफ जा रही है। आने वाले महीनों में चीन लालमुनीर जिले में हवाई अड्डा बना सकता है, जिसमें पाकिस्तान निर्माण में मदद करेगा। उनकी पोस्ट में कहा गया, “भारत चारों तरफ से घिर रहा है और दबाव में आ रहा है।” उनका मानना है कि अगर चीन भारत पर हमला करता है, तो यह हवाई अड्डा अहम भूमिका निभाएगा।

टर्की का प्रभाव और ग्रेटर बांग्लादेश की विचारधारा
टर्की भी इस क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा रहा है। टर्की के विशेषज्ञों के मुताबिक, बांग्लादेश में ग्रेटर बांग्लादेश(Greater Bangladesh) का विचार फैलाया जा रहा है। टर्की के एनजीओ चैरिटी के नाम पर बांग्लादेश में लोगों को भड़का रहे हैं कि बांग्लादेश को विस्तार करना चाहिए। ढाका यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में युवाओं को प्रभावित किया जा रहा है। टर्की के व्यापार मंत्री ओमर बोलात ने कहा कि टर्की भारत की जगह बांग्लादेश का बड़ा व्यापारिक साझेदार बन सकता है। टर्की बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है, क्योंकि बांग्लादेश की आबादी 16-17 करोड़ है और उसकी भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है।
भारत के लिए खतरा
अगर टर्की और चीन बांग्लादेश को भड़काते हैं, तो वह भारत के खिलाफ कदम उठा सकता है। इससे भारत-बांग्लादेश के रिश्ते खराब होंगे, जो टर्की और चीन के लिए बड़ी जीत होगी। भारत और बांग्लादेश का व्यापार पहले ही कम हो रहा है, और चीन की भागीदारी बढ़ने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
भारत के लिए यह समय है कि वह ताइवान और जापान जैसे देशों के साथ मिलकर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करे और वैश्विक मीडिया में अपने पक्ष को मजबूती से रखे।
निष्कर्ष
सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थिति गंभीर हो रही है। चीन, टर्की और बांग्लादेश की चालें भारत के लिए खतरा बन सकती हैं। भारत को सतर्क रहकर सही कदम उठाने होंगे।