भारत सरकार एक और बड़ा डिजिटल रिवॉल्यूशन लाने की तैयारी में है। आधार और यूपीआई की सफलता के बाद अब हर जगह—चाहे घर हो, दुकान हो या पब्लिक प्लेस—को एक यूनिक डिजिटल आईडी दी जाएगी। इसे डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DG PIN) कहा जाएगा। आइए जानते हैं यह क्या है और इसके फायदे क्या होंगे।
Edit-Sanjeet Choudhary

Digital Address ID;यह नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
यह प्रोजेक्ट हर जगह को एक डिजिटल पहचान देने का है। जैसे आधार हर व्यक्ति की डिजिटल आईडी है और यूपीआई पेमेंट के लिए है, वैसे ही DG PIN हर जगह (घर, दुकान, ऑफिस) का 10 अक्षरों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड होगा। यह कोड जीपीएस ((latitude-longitude)) के आधार पर बनाया जाएगा, जिससे हर जगह को सटीक तरीके से पहचाना जा सके।
अभी भारत में 19,101 पिन कोड हैं, जो 1,54,000 पोस्ट ऑफिस को कवर करते हैं। पिन कोड 6 अंकों का होता है और 1972 से इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन यह सिर्फ इलाके को पहचानता है, हर घर को नहीं। DG PIN हर घर और जगह को अलग-अलग पहचान देगा।
इसकी जरूरत क्यों है?
भारत में एड्रेस सिस्टम में बहुत दिक्कतें हैं। यहाँ एड्रेस स्टैंडर्ड नहीं हैं। लोग अक्सर लैंडमार्क जैसे “मंदिर के पास” या “बनियान ट्री के सामने” लिखते हैं, जिससे कन्फ्यूजन होता है। इससे डिलीवरी में देरी, गलतियां, और इमरजेंसी सर्विसेज (जैसे एम्बुलेंस) को सही जगह तक पहुंचने में परेशानी होती है।
- भारत में पते अक्सर अस्पष्ट होते हैं – “मंदिर के पीछे”, “बरगद के पेड़ के सामने” जैसे लैंडमार्क्स पर निर्भरता।
- डिलीवरी, इमरजेंसी सेवाओं और सरकारी योजनाओं में देरी होती है क्योंकि ठीक से पता नहीं चल पाता।
- हर साल 10-14 बिलियन डॉलर (करीब 80,000 करोड़ रुपये) का नुकसान सिर्फ गलत पतों की वजह से होता है।

How Will DG PIN Work? कैसे काम करेगा?
- यह 10 अक्षरों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड होगा।
- जीपीएस कोऑर्डिनेट्स के आधार पर हर जगह की सटीक लोकेशन तय होगी।
- डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट और प्राइम मिनिस्टर ऑफिस इसे मैनेज करेंगे।
- एक सेंट्रल डेटाबेस में सारा डेटा स्टोर होगा, जिससे कोड डालकर सटीक लोकेशन का पता लगाया जा सकेगा।
- यह कोड हमेशा वही रहेगा, भले ही मालिक बदल जाए।
Benefits of DG PIN;डीजी-पिन के फायदे:
बेहतर गवर्नेंस और सर्विस डिलीवरी:
- सरकार सब्सिडी, प्रॉपर्टी टैक्स नोटिस, और वेलफेयर स्कीम्स सही जगह तक पहुंचा सकेगी।
- स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट्स में मदद मिलेगी।
इमरजेंसी में फायदा:
- एम्बुलेंस, डिजास्टर रिलीफ, और रेस्क्यू ऑपरेशन्स तेजी से सही जगह तक पहुंच सकेंगे।

आर्थिक फायदा:
- ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स (जैसे स्विगी, जोमैटो), और डिलीवरी सिस्टम में समय और पैसे की बचत होगी।
- रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग, और इंश्योरेंस मैपिंग आसान होगी।
फ्रॉड रोकथाम:
- फर्जी प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स से होने वाले फ्रॉड रुकेंगे, क्योंकि ओनरशिप और ऑक्यूपेंसी वेरिफाई हो सकेगी।
अर्बन प्लानिंग में मदद:
- प्रॉपर्टी टैक्स, स्मार्ट मीटर, और सीवेज प्लानिंग बेहतर होगी।
- ऑटोमेटेड बिल्डिंग प्लान अप्रूवल आसान हो जाएगा।

प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी
- आधार की तरह, बिना मालिक की मंजूरी के कोई डेटा शेयर नहीं किया जाएगा।
- एक “डिजिटल एड्रेस अथॉरिटी” बनाई जाएगी, जो इस सिस्टम को मैनेज करेगी।
कब तक लागू होगा?
- 2025 तक पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा।
- 2026-27 तक पूरे देश में लागू करने की योजना है।
दुनिया में ऐसे सिस्टम:
- अमेरिका: ZIP+4 कोड
- दक्षिण कोरिया: जियो-कोडिंग सिस्टम
- मंगोलिया और नाइजीरिया में भी ऐसी ही व्यवस्था है।
चुनौतियाँ:
- ग्रामीण और अनियोजित इलाकों में लागू करना मुश्किल हो सकता है।
- डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंताएँ।
- लोगों को नए सिस्टम की आदत डालने में समय लगेगा।
निष्कर्ष:
यह योजना भारत को डिजिटल गवर्नेंस में एक नया मुकाम देगी। आधार और यूपीआई की तरह ही, डीजी-पिन भी दुनिया भर में मॉडल बन सकता है। अगर सही तरीके से लागू हुआ, तो यह भ्रष्टाचार कम करेगा, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा और आम लोगों की जिंदगी आसान बनाएगा।