भारत सरकार ने हाल ही में केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम, 2021 में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसका सीधा असर पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) कर्मचारियों, विशेष रूप से उन कर्मचारियों पर पड़ेगा, जो पहले केंद्रीय सरकार के कर्मचारी थे और बाद में पीएसयू में शामिल हुए। New Pension Rule, जिसे रूल 37(29)(सी) के रूप में पेश किया गया है, का उद्देश्य पीएसयू कर्मचारियों की जवाबदेही को बढ़ाना और अनुशासनात्मक कार्रवाई को और सख्त करना है।
New Pension Rule क्या है?
केंद्र सरकार ने केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम, 2021 में संशोधन कर एक नया नियम, 37(29)(सी), लागू किया है। यह नियम उन पीएसयू कर्मचारियों पर लागू होता है, जो पहले केंद्रीय सरकार के कर्मचारी थे और 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्त हुए थे। इस तारीख से पहले नियुक्त कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) के तहत आते हैं, जबकि इसके बाद नियुक्त कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं।
नया नियम कहता है कि यदि कोई पीएसयू कर्मचारी अनुशासनात्मक आधार पर या दुराचार (मिसकंडक्ट) के कारण बर्खास्त या हटाया जाता है, तो उसका रिटायरमेंट बेनिफिट और पेंशन पूरी तरह से समाप्त हो सकता है। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जो पहले केंद्रीय सरकार में कार्यरत थे और बाद में पीएसयू जैसे भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, या एनटीपीसी में शामिल हुए।
पहले क्या था?
पहले, यदि कोई पीएसयू कर्मचारी दुराचार के लिए बर्खास्त भी हो जाता था, तो उसकी केंद्रीय सरकार की सेवा के दौरान अर्जित पेंशन सुरक्षित रहती थी। यह एक तरह का दोहरा संरक्षण था, जिसके कारण कर्मचारियों में अनुशासन का डर कम था। कई बार दुराचार के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती थी, क्योंकि उनकी पेंशन बरकरार रहती थी।
अब क्या बदल गया?
नए नियम के तहत, यदि कोई पीएसयू कर्मचारी दुराचार या अनुशासनात्मक आधार पर बर्खास्त होता है, तो उसकी केंद्रीय सरकार की सेवा और पीएसयू की सेवा दोनों से संबंधित पेंशन पूरी तरह से रद्द हो सकती है। यह एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि अब कर्मचारियों को अपनी नौकरी और व्यवहार में अधिक सावधानी बरतनी होगी।
नई नीति का उद्देश्य
सरकार का इस संशोधन के पीछे मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
संगठनात्मक स्वास्थ्य में सुधार: अनुशासनात्मक कार्रवाइयों को और प्रभावी बनाकर, पीएसयू की कार्य संस्कृति और नैतिक शासन को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।
जवाबदेही बढ़ाना: यह नियम सुनिश्चित करता है कि पीएसयू कर्मचारी, विशेष रूप से वे जो पहले केंद्रीय सरकार में थे, अपने कर्तव्यों को पूरी जिम्मेदारी और अनुशासन के साथ निभाएं।
पेंशन को मौलिक अधिकार नहीं मानना: सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेंशन कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यह अच्छे आचरण और उचित व्यवहार पर निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी भारत सरकार बनाम टी. नटराजन मामले में यही कहा है कि पेंशन एक वैधानिक अधिकार है, जिसे दुराचार के आधार पर रद्द किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार और दुराचार पर रोक: यह नियम भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता, या नैतिक दुराचार को रोकने के लिए एक निवारक (डिटरेंट) के रूप में कार्य करेगा।

लाभ
- बेहतर अनुशासन: कर्मचारियों में जवाबदेही बढ़ेगी, क्योंकि अब दुराचार का परिणाम उनकी पेंशन पर भी पड़ेगा।
- नैतिक शासन: पीएसयू में नैतिकता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
- संगठनात्मक दक्षता: अनुशासित कर्मचारियों के साथ संगठन की कार्यक्षमता में सुधार होगा।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश: दुराचार पर सख्त कार्रवाई से भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में कमी आएगी।
हानि और आलोचनाएं
- अनिश्चितता: कर्मचारियों में अनिश्चितता बढ़ सकती है, क्योंकि भविष्य में दुराचार का एक छोटा-सा मामला भी उनकी पूरी पेंशन को खतरे में डाल सकता है।
- प्रबंधन द्वारा दुरुपयोग: पीएसयू प्रबंधन इस नियम का दुरुपयोग कर कर्मचारियों को परेशान कर सकता है, खासकर यदि कोई कर्मचारी प्रबंधन के अनुकूल व्यवहार नहीं करता।
- नैतिक प्रभाव: कर्मचारियों का मनोबल कम हो सकता है, क्योंकि उनकी पहले की अच्छी सेवा को नजरअंदाज कर भविष्य में एक गलती के कारण उनकी पेंशन खत्म हो सकती है।
- वास्तविक प्रभाव: उदाहरण के लिए, यदि 1990 में दूरसंचार विभाग के एक कर्मचारी को बीएसएनएल में शामिल किया गया था और 2025 में उसे दुराचार के लिए बर्खास्त किया जाता है, तो उसकी पूरी पेंशन समाप्त हो जाएगी।
संवैधानिक और कानूनी दृष्टिकोण
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 309 सरकार को सेवा शर्तों को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि पेंशन कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यह नियम इस सिद्धांत पर आधारित है कि पेंशन अच्छे आचरण पर निर्भर करती है।
कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपाय
यह नियम पूरी तरह से एकतरफा नहीं है। कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय किए गए हैं:
- मंत्रालय की निगरानी: किसी कर्मचारी को बर्खास्त करने का निर्णय पीएसयू प्रबंधन द्वारा लिया जा सकता है, लेकिन इसका पुनरीक्षण (रिव्यू) संबंधित मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। उदाहरण के लिए, भेल के मामले में भारी उद्योग मंत्रालय अंतिम प्राधिकरण होगा।
- नैसर्गिक न्याय और उचित प्रक्रिया: बर्खास्तगी से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, जैसे कि जांच समिति का गठन और कर्मचारी को अपनी बात रखने का मौका।
- निष्पक्षता: यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कर्मचारी के साथ कोई अन्याय न हो, जैसे कि राजनीतिक कारणों से बर्खास्तगी।
यह नियम किन पर लागू नहीं होगा?
1 -जो कर्मचारी 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए।
2 -जो कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत आते हैं।
3 –जो कर्मचारी कभी केंद्रीय सरकार का हिस्सा नहीं रहे, जैसे कि आईएएस, आईपीएस, आईएफओएस, या रेलवे कर्मचारी।
Top 10 Frequently Asked Questions (FAQs) — पीएसयू कर्मचारियों की नई पेंशन नीति पर आधारित
1. पीएसयू कर्मचारियों के लिए नया पेंशन नियम क्या है?
उत्तर:
सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज पेंशन रूल्स, 2021 में नया नियम 37(29)(C) जोड़ा है, जिसके तहत यदि कोई पीएसयू कर्मचारी अनुशासनहीनता या दुराचार के कारण बर्खास्त होता है, तो उसकी पूरी पेंशन और रिटायरमेंट लाभ समाप्त किए जा सकते हैं।
2. यह नया नियम किन पीएसयू कर्मचारियों पर लागू होगा?
उत्तर:
यह नियम केवल उन कर्मचारियों पर लागू होगा जो पहले केंद्र सरकार में कार्यरत थे, 1 जनवरी 2004 से पहले नियुक्त हुए थे और बाद में किसी पीएसयू जैसे भेल, बीएसएनएल, एनटीपीसी आदि में शामिल हुए।
3. क्या यह नियम नए एनपीएस कर्मचारियों पर भी लागू होगा?
उत्तर:
नहीं, यह नियम केवल ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत आने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है। जो कर्मचारी 2004 के बाद नियुक्त हुए हैं और NPS के तहत आते हैं, उन पर यह नियम लागू नहीं होगा।
4. अगर कर्मचारी सेवा से बर्खास्त हो जाए तो क्या उसकी पूरी पेंशन खत्म हो जाएगी?
उत्तर:
हाँ, यदि कर्मचारी को अनुशासनहीनता या भ्रष्टाचार जैसे कारणों से बर्खास्त किया गया है, तो उसकी पूरी पेंशन और रिटायरमेंट लाभ रद्द किए जा सकते हैं।
5. क्या इस नियम के तहत कोई अपील या समीक्षा प्रक्रिया है?
उत्तर:
हाँ, बर्खास्तगी के निर्णय की समीक्षा संबंधित मंत्रालय द्वारा की जाएगी और कर्मचारी को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। यह नियम ‘नैसर्गिक न्याय’ और ‘उचित प्रक्रिया’ के सिद्धांतों पर आधारित है।
6. इस पेंशन नियम में बदलाव का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस बदलाव का उद्देश्य कर्मचारियों में जवाबदेही बढ़ाना, अनुशासन बनाए रखना, और भ्रष्टाचार व नैतिक दुराचार पर अंकुश लगाना है।
7. क्या पेंशन एक मौलिक अधिकार है?
उत्तर:
नहीं, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पेंशन एक वैधानिक अधिकार (Statutory Right) है, न कि मौलिक अधिकार (Fundamental Right)। यह अच्छे आचरण पर आधारित होता है।
8. क्या इस नए नियम से कर्मचारियों के मनोबल पर असर पड़ेगा?
उत्तर:
कुछ मामलों में हां, क्योंकि बर्खास्तगी की स्थिति में पूरी पेंशन खत्म हो सकती है, जिससे कर्मचारी असुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
9. क्या इस नियम का दुरुपयोग पीएसयू प्रबंधन द्वारा किया जा सकता है?
उत्तर:
ऐसी आशंका व्यक्त की गई है, लेकिन मंत्रालय की निगरानी, निष्पक्ष जांच और अपील प्रक्रिया जैसी सुरक्षा-व्यवस्थाएं दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाई गई हैं।
10. पीएसयू कर्मचारियों को इस नए नियम से कैसे सावधान रहना चाहिए?
उत्तर:
कर्मचारियों को अपने कार्य में अनुशासन, ईमानदारी और जवाबदेही बनाए रखनी चाहिए। किसी भी तरह के दुराचार से बचना अब पहले से अधिक जरूरी हो गया है।