तीन वर्षों की कठिन बातचीत, 14 से अधिक नेगोशिएशन राउंड्स और तमाम राजनैतिक बदलावों के बावजूद भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) आखिरकार एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप देने जा रहे हैं। Indian Prime Minister Narendra Modi की लंदन यात्रा के दौरान, इस डील पर आधिकारिक हस्ताक्षर की पूरी संभावना है। यह समझौता सिर्फ दो देशों के बीच आर्थिक सहयोग का दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में भारत की परिपक्व और आत्मनिर्भर भूमिका का भी प्रतीक है।

क्या है India-UK (FTA)और क्यों है यह अहम?
इस समझौते के अंतर्गत भारत से निर्यात होने वाले 99% उत्पादों को ब्रिटेन में शून्य टैरिफ यानी जीरो ड्यूटी के तहत प्रवेश मिलेगा। यह भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से टेक्सटाइल, आईटी, ऑर्गेनिक उत्पाद, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों के लिए बड़ी राहत है।
इसके साथ ही, भारतीय शेफ्स, योगा ट्रेनर्स, आईटी प्रोफेशनल्स और आर्टिस्ट्स को यूके में शॉर्ट टर्म वीज़ा मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि अब भारतीय पेशेवरों को यूके की पेंशन स्कीम में योगदान नहीं देना होगा, जिससे हर साल लगभग 4000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
ब्रिटेन को इस समझौते से क्या मिलेगा? यूके के ऑटोमोबाइल, अल्कोहल, टेक्नोलॉजी और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों को भारत में आसान बाजार पहुंच मिलेगी। हालांकि भारत ने कुछ संवेदनशील सेक्टर्स (जैसे एग्रीकल्चर और रबर) में छूट देने से इनकार किया है, जो घरेलू हितों की रक्षा के लिए जरूरी था।

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अमेरिका को भेजा गया अप्रत्यक्ष संदेश
जब से डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की चर्चा तेज हुई है, अमेरिका भारत पर एफटीए के लिए डेडलाइन्स का दबाव बना रहा है। पहले 9 जुलाई और फिर 31 जुलाई की डेडलाइन दी गई, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि डेडलाइन आधारित बातचीत स्वीकार्य नहीं है।
भारत ने अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए अपनाए जा रहे स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को भी रोक दिया है। इसके स्थान पर, अब एक डायनामिक और फ्लेक्सिबल अप्रोच अपनाई जा रही है, जिससे यह संकेत जाता है कि भारत अब अमेरिका के साथ उसकी ही भाषा में बातचीत करेगा — लेकिन भारत के नियमों पर।
इस कदम से भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रेशर पॉलिटिक्स के आगे नहीं झुकेगा। यह अमेरिका सहित अन्य विकसित देशों को एक कड़ा संदेश है कि भारत अब “सौदे की मेज पर बराबरी के साथ बैठता है।”
यूरोपीय संघ (EU) की दृष्टि से भारत-यूके एफटीए
यूके के ब्रेग्ज़िट के बाद, यह डील यूरोप के लिए भी एक चेतावनी और उदाहरण दोनों है। ईयू पहले ही भारत के साथ अपनी अलग ट्रेड डील के लिए बातचीत कर रहा है, लेकिन अब भारत-यूके डील के बाद उन वार्ताओं पर दबाव बढ़ेगा। यूरोपीय यूनियन को अब यह समझना होगा कि भारत एक निर्णायक, शांत और संतुलित कूटनीति के जरिए डील करता है, न कि समयसीमा और धमकी की राजनीति के आधार पर।
यूके के लिए डील का महत्व
UK Prime Minister, Keir Starmer, के नेतृत्व में यूके सरकार इस डील को ब्रेग्ज़िट के बाद की सबसे बड़ी आर्थिक जीत मान रही है। यूके की जीडीपी में इस डील के माध्यम से हर साल लगभग £4.8 बिलियन का इजाफा अनुमानित है। इसके अलावा, यह डील ब्रिटेन की वैश्विक व्यापार रणनीति को नई दिशा दे सकती है — खासतौर पर तब, जब उसे यूरोपीय बाजारों से अलग हुए समय को काफी हो गया है।
भारत की रणनीतिक जीत और आगे की राह
भारत की इस एफटीए डील को न केवल कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा सकता है, बल्कि यह मेक इन इंडिया, एक्सपोर्ट प्रमोशन, और विकसित भारत 2047 जैसे विज़न को भी मजबूती देती है। लगभग 50 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन और घरेलू उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर बढ़ावा इस डील के प्रमुख परिणाम हो सकते हैं।
India-UK (FTA) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत और यूके के बीच हाल ही में साइन किया गया एफटीए क्या है?
उत्तर:
एफटीए (Free Trade Agreement) एक ऐसा समझौता है जिसमें दो देश आपसी व्यापार पर लगने वाले टैरिफ (शुल्क) और अन्य व्यापारिक बाधाओं को कम या खत्म करते हैं। भारत-यूके एफटीए के तहत भारत से यूके को भेजे जाने वाले 99% उत्पादों पर शून्य ड्यूटी लगेगी और यूके के कुछ सेक्टर्स को भारत में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी।
2. इस एफटीए से भारत को क्या लाभ होगा?
उत्तर:
- 99% भारतीय उत्पादों को यूके में ज़ीरो ड्यूटी पर एंट्री मिलेगी।
- भारतीय प्रोफेशनल्स (आईटी, शेफ्स, योगा ट्रेनर्स आदि) को शॉर्ट टर्म वीजा मिलेगा।
- पेंशन योगदान में छूट से हर साल लगभग ₹4000 करोड़ की बचत होगी।
- मेक इन इंडिया और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी।
3. क्या यह डील यूके के लिए भी फायदेमंद है?
उत्तर:
हाँ, यूके की जीडीपी में अनुमानित रूप से सालाना £4.8 बिलियन का इजाफा हो सकता है। यूके के उत्पाद जैसे अल्कोहल, ऑटोमोबाइल्स और सर्विस सेक्टर्स को भारत में बेहतर एक्सेस मिलेगा। यह डील ब्रेग्ज़िट के बाद यूके की सबसे बड़ी व्यापारिक सफलता मानी जा रही है।
4. अमेरिका इस डील को कैसे देख रहा है?
उत्तर:
अमेरिका, खासकर डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में, भारत पर एफटीए के लिए डेडलाइन्स का दबाव डाल रहा था। लेकिन भारत ने प्रेशर पॉलिटिक्स को नकारते हुए अमेरिका के लिए अपनाए गए SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) को स्थगित कर दिया है और अब डायनामिक स्ट्रेटजी के तहत बातचीत कर रहा है।
5. क्या इस डील का यूरोपीय संघ (EU) पर भी प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
बिलकुल। यह डील ब्रेग्ज़िट के बाद यूके की स्वतंत्र व्यापार नीति की पहली बड़ी सफलता है। यूरोपीय संघ के साथ भारत की ट्रेड डील बातचीत पहले से चल रही है, और अब इस यूके-भारत समझौते के बाद ईयू पर दबाव बढ़ सकता है कि वह भी भारत के साथ जल्द समझौता करे।
6. क्या सभी सेक्टर्स को इस डील में शामिल किया गया है?
उत्तर:
नहीं। भारत ने कुछ संवेदनशील सेक्टर्स जैसे एग्रीकल्चर, शुगर और रबर जैसे क्षेत्रों में छूट नहीं दी है, ताकि घरेलू उद्योगों की रक्षा की जा सके। बातचीत सेक्टर-वाइज हुई है और सामरिक रूप से फैसले लिए गए हैं।
7. यह डील कब साइन हुई?
उत्तर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान, 23-24 जुलाई 2025 को यह डील आधिकारिक रूप से साइन होने की पुष्टि हुई है। यह तीन साल से अधिक लंबी बातचीत का परिणाम है।