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bangalore stampede; IPL 2025 RCB कि एक जीत की खुशी ने छीन ली कई ज़िंदगियाँ.

बेंगलुरु, 4 जून 2025: भारत में भगदड़ की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामला बेंगलुरु का है, जहां रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की आईपीएल जीत के जश्न में chinnaswamy stadium (चिन्नास्वामी स्टेडियम ) के पास भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोग मारे गए, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। साथ ही, 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

By-Sanjeet Choudhary

bangalore stampede

बेंगलुरु में क्या हुआ?

RCB आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों लोग चेन्नास्वामी स्टेडियम chinnaswamy stadium के बाहर इकट्ठा हो गए। भीड़ इतनी बढ़ गई कि प्रशासन नियंत्रण खो बैठा। अचानक घबराहट फैल गई, लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, और फिर भगदड़( stampede ) शुरू हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 से 11 लोग मारे गए हैं, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। 50 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

chinnaswamy stadium

भारत में बार-बार क्यों हो रही हैं भगदड़?

भारत में हाल के वर्षों में भगदड़ की कई घटनाएं हुई हैं। विकिपीडिया की सूची बताती है कि ऐसी घटनाएं ज्यादातर भारत जैसे विकासशील देशों में ही हो रही हैं। विकसित देशों में ऐसी घटनाएं बहुत कम देखने को मिलती हैं।

इन हादसों का सबसे बड़ा कारण है भीड़ प्रबंधन की कमी। भारत में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई सख्त नियम या व्यवस्था नहीं है।

क्या होता है क्राउड कंट्रोल?

हर आयोजन स्थल की एक क्षमता होती है – एक तय सीमा तक लोग वहां सुरक्षित रूप से खड़े हो सकते हैं। पश्चिमी देशों में यह नियम होता है कि एक वर्ग मीटर में अधिकतम कितने लोग हो सकते हैं।

भारत में कई बार यह संख्या 7-8 लोग/मीटर² तक भी पहुंच जाती है। ऐसे में अगर किसी को घबराहट हो जाए, या कोई हलचल हो – भगदड़ शुरू हो जाती है।

आयोजकों की बड़ी लापरवाही

कई बार आयोजक उम्मीद से ज्यादा टिकट बेच देते हैं। या फिर अनुमान गलत होता है कि कितने लोग आएंगे। नतीजा – भीड़ काबू से बाहर हो जाती है। एग्जिट गेट कम होते हैं। स्टाफ कम होता है। और हादसे हो जाते हैं।

हमारी सामाजिक सोच पर भी सवाल

सबसे दुखद बात यह है कि हादसे के बाद भी जश्न रुका नहीं। किसी ने मृतकों को श्रद्धांजलि तक नहीं दी। यह सोचने पर मजबूर करता है – क्या हम इंसानी जान की कीमत समझते हैं?

आगे क्या किया जाए?

  1. क्राउड मैनेजमेंट के लिए कड़े नियम बनें।
  2. हर आयोजन में पर स्क्वायर मीटर लिमिट तय हो।
  3. आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया जाए।
  4. जरूरी एग्जिट गेट्स और स्टाफ होना अनिवार्य हो।
  5. सामाजिक स्तर पर भी हमें अनुशासन और जागरूकता बढ़ानी होगी।

जब तक हम ऐसा नहीं करते, तब तक ये घटनाएं रुकेंगी नहीं। दुख होता है यह कहते हुए कि दुनिया भारत को अब एक ऐसे देश के रूप में देखने लगी है जहां बार-बार ऐसी त्रासदियां होती हैं।

निष्कर्ष

बेंगलुरु की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं है। यह हमारे देश की एक बड़ी कमज़ोरी को उजागर करती है – भीड़ नियंत्रण की कमी और जीवन की कम कदर। अगर अब भी हमने नहीं सीखा, तो अगली स्टैंपीड की खबर फिर इसी देश से आएगी।


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