Iran कि सेना ने Qatar और Iraq में मौजूद अमेरिकी बेस पर मिसाइल हमला कर दिया है। खासतौर पर क़तर की राजधानी Doha में जोरदार धमाकों की आवाज़ें सुनी गई हैं, और एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सक्रिय कर दिया गया है।
क़तर की अल-उबायद एयरबेस—जो मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी अमेरिकी सैन्य छावनी मानी जाती है—पर ईरान ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि कम से कम 6 मिसाइलें दागी गई हैं। इस बेस पर करीब 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
Qatar और UAE ने बंद किया एयरस्पेस
क़तर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। दोहा में सायरन बजाए गए हैं और नागरिकों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है। भारतीय दूतावास ने भी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी है।

क्या यह लड़ाई और बढ़ेगी?
ईरान ने बयान में कहा है कि उसका हमला सिर्फ अमेरिकी बेस पर था, और क़तर से उनका कोई झगड़ा नहीं है। यह बयान डैमेज कंट्रोल की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि क़तर ने भी सख्त प्रतिक्रिया दी है।
क़तर ने कहा है कि वह इस हमले का “उचित और बराबर” जवाब देने का हक रखता है, और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार होगा।
क्या अमेरिका देगा जवाब?
अमेरिका पहले ही ईरान को चेतावनी दे चुका था कि अगर किसी तरह का पलटवार हुआ, तो जवाब और भी कड़ा होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि “अगर ईरान ने हमला किया, तो अमेरिका और भी बड़ा प्रहार करेगा।”
अब सवाल यह है कि अमेरिका इस हमले को सीधा युद्ध का हमला मानेगा या नहीं। अगर अमेरिका ने इसे ‘Act of war’ माना, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
Russia और China की भूमिका?
आज ही ईरान के विदेश मंत्री ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में रूस ने ईरान को समर्थन देने का आश्वासन दिया है। रूस का रुख यह है कि अमेरिका की कार्रवाई अवैध थी और यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है।
चीन ने भी अमेरिका की कार्रवाई की आलोचना की है।
निष्कर्ष:
वर्तमान स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है। अब यह सिर्फ ईरान बनाम अमेरिका नहीं, बल्कि पूरे वेस्ट एशिया का मामला बन चुका है। आने वाले कुछ घंटे और दिन यह तय करेंगे कि यह विवाद युद्ध की तरफ बढ़ेगा या फिर कूटनीति से सुलझाया जाएगा।
