Jammu-Kashmir में भारी बारिश और बाढ़ ने डोडा, रामबन और राजौरी में भारी तबाही मचाई। तवी नदी का चौथा पुल ढह गया, मकान बह गए, सड़कें व संचार सेवाएं ठप। जानें पूरी खबर।

Jammu-Kashmir Floods: तवी नदी का कहर और चौथे पुल का ढहना
J&K शहर में तवी नदी इस समय रौद्र रूप में है। मंगलवार को अचानक इसका जलस्तर इतना बढ़ गया कि नदी पर बना चौथा पुल ढह गया। उस दौरान कई वाहन पुल पर फंसे हुए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब बारिश लगातार हो रही थी, तभी अचानक पुल में कंपन महसूस हुआ और लोग गाड़ियों से निकलकर अपनी जान बचाने के लिए दौड़ पड़े। गनीमत रही कि समय रहते पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर आवाजाही रोक दी और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
प्रशासन ने नदी के किनारे रहने वाले लोगों को तुरंत ऊंचाई वाले इलाकों में शरण लेने का निर्देश दिया है क्योंकि तवी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है।

डोडा में बादल फटने से तबाही
डोडा जिला इस प्राकृतिक आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। सोमवार देर रात लगभग 3 बजे बादल फटने की घटना हुई, जिससे अचानक आई बाढ़ ने कई गांवों को अपने चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों के अनुसार अब तक 20 से ज्यादा मकान पूरी तरह से बह चुके हैं, जिनमें से अधिकांश गरीब परिवारों के थे। खासकर गुर्जर समुदाय, जो दूध बेचकर जीवनयापन करता है, इस आपदा से बहुत प्रभावित हुआ है। एक ग्रामीण ने बताया – “ग़रीब आदमी बरसों की मेहनत से मकान बनाता है और वह एक पल में बह जाता है।”
जिले में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को राहत व बचाव कार्य में लगाया गया है। सेना भी स्थानीय प्रशासन की मदद कर रही है। प्रभावित परिवारों को अस्थायी कैंपों में ठहराया जा रहा है और खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है।

रामबन जिले में हालात बिगड़े
रामबन जिले में तेज बारिश के कारण बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों तक घुस गया। कई घरों के लोग मजबूर होकर छतों पर शरण लिए हुए हैं। पुलिस लगातार लाउडस्पीकर के माध्यम से चेतावनी दे रही है कि लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाएं।
बीते डेढ़ महीने में यहां 100 से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जिला प्रशासन नुकसान का आकलन कर रहा है। कई सड़कें धंस गई हैं और भूस्खलन के कारण यातायात पूरी तरह से ठप हो चुका है।
राजौरी में बाढ़ जैसे हालात
राजौरी जिले में भी स्थिति बेहद गंभीर है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने झीलों का जलस्तर इतना बढ़ा दिया है कि वे नदियों जैसी लगने लगी हैं। कालाकोट क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग की टीमें अलर्ट मोड पर हैं। कई जगहों पर स्कूलों को बंद कर दिया गया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सड़कों पर जगह-जगह भूस्खलन हुआ है, जिससे यातायात प्रभावित है। ग्रामीण इलाकों में कई परिवार अब भी बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं और बचाव दल लगातार उन्हें निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं ठप
बारिश और बाढ़ ने केवल घरों और सड़कों को ही नहीं, बल्कि संचार व्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। कई इलाकों में बिजली के खंभे गिर गए हैं, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। इसके साथ ही मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएं भी ठप हैं।
आपातकालीन सेवाओं पर इसका सीधा असर पड़ा है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक हेल्पलाइन या घोषणाओं पर भरोसा करें।

प्रशासन की चुनौतियां और राहत कार्य
जम्मू-कश्मीर प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आपात बैठक बुलाकर प्रभावित जिलों के अधिकारियों को अलर्ट रहने और तुरंत राहत पहुंचाने के निर्देश दिए। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
कटरा में प्रसिद्ध Vaishno Devi यात्रा को भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। स्कूल और कॉलेज 27 अगस्त तक बंद कर दिए गए हैं।
प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (+91 9906019460, +91 9906019446) जारी किए हैं, जिन पर लोग आपात स्थिति में संपर्क कर सकते हैं।
प्रभावित लोगों की पीड़ा
तबाही के बीच सबसे ज्यादा कठिनाई उन गरीब और ग्रामीण परिवारों को हो रही है, जिनके पास रहने के लिए अब कुछ नहीं बचा है। जिन मकानों को वे बरसों की मेहनत से बनाते हैं, वे पलभर में नदी की लहरों में समा गए। कई परिवारों को बच्चों और बुजुर्गों के साथ राहत कैंपों में शरण लेनी पड़ी है।
लोग अपने जानवरों और घरों की यादों को छोड़कर खाली हाथ सुरक्षित जगहों की ओर भागने को मजबूर हुए हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। 27 अगस्त तक मौसम के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे में प्रशासन और आम जनता दोनों को सतर्क रहने की जरूरत है।



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