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NATO Chief’s Warning: India, China, and Brazil पर लग सकते हैं 500% Tariff.

NATO के नए महासचिव Mark Rutte ने भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देशों को सीधी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर ये देश Russia से तेल और गैस खरीदते रहेंगे और पुतिन पर दबाव नहीं बनाएंगे, तो उन पर भारी टैक्स (Tariff) लगाया जाएगा।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को अब तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं। इस दौरान नेटो देशों ने यूक्रेन को हर तरह की मदद दी – हथियार, आर्थिक सहायता और राजनीतिक समर्थन। लेकिन फिर भी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को झुकाने में ये देश नाकाम रहे हैं।

NATO की धमकी क्यों?

Mark Rutte का मानना है कि अगर भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे बड़े देश रूस से दूरी बना लें, तो पुतिन को मजबूर किया जा सकता है कि वह युद्ध रोक दें। इसलिए नेटो ने इन देशों को कहा है कि या तो वे रूस पर दबाव डालें, या फिर खुद को आर्थिक सज़ा झेलने के लिए तैयार रखें।

NATO Chief’s Mark Rutte

Mark Rutte का कहना है कि अगर रूस अगले 50 दिनों में यूक्रेन के साथ शांति वार्ता शुरू नहीं करता, तो:

Donald Trump की भूमिका क्या है?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले दावा किया था कि वो एक फोन कॉल में युद्ध खत्म कर देंगे। लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला।

अब ट्रंप फिर से यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं और रूस के खिलाफ और सख्त होने की बात कर रहे हैं। नेटो के महासचिव रूटे भी ट्रंप की लाइन पर चल रहे हैं और उनके बयानों को और भी ज़्यादा सख्ती से दोहरा रहे हैं।

भारत, चीन और ब्राज़ील पर इसका क्या असर होगा?

भारत, चीन और ब्राज़ील – ये तीनों देश BRICS के सदस्य हैं और रूस के साथ उनके अच्छे व्यापारिक और राजनीतिक रिश्ते हैं।

अब अगर अमेरिका और नेटो इन देशों पर भारी टैक्स लगाते हैं, तो इसका असर ना सिर्फ इन देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिका का खुद का व्यापार भी प्रभावित होगा।

भारत और अमेरिका के बीच इस समय एक व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, इसलिए भारत इस मुद्दे पर पूरी सावधानी से आगे बढ़ेगा।

क्या इस धमकी से Russia झुकेगा?

रूस ने अभी तक इन धमकियों को गंभीरता से नहीं लिया है। उल्टा उसने साफ कर दिया है कि कोई भी बाहरी देश उसे आदेश नहीं दे सकता कि वह युद्ध कब और कैसे खत्म करे।

भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन भारत हमेशा से एक तटस्थ और संतुलित नीति पर चलता है – जो दोनों पक्षों के साथ संवाद बनाए रखने की कोशिश करता है।

क्या नेटो की रणनीति सही है?

आज की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि नेटो की रणनीति धमकियों और दबाव पर आधारित है। लेकिन इससे शांति नहीं आएगी। शांति तब ही आ सकती है जब सभी देश बातचीत की मेज़ पर बैठें।

नेटो को ये समझना चाहिए कि युद्ध को लंबा खींचने से ना सिर्फ यूक्रेन को नुकसान हो रहा है, बल्कि पूरी दुनिया में तेल, गैस और खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।

निष्कर्ष

भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देश इतनी आसानी से किसी के दबाव में नहीं आएंगे। धमकियां देना न तो सही तरीका है, और न ही इससे रूस पीछे हटेगा।

युद्ध को खत्म करना है, तो सभी पक्षों को बैठकर बातचीत करनी होगी – धमकी नहीं, कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है।

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