भूलचूक माफ” एक अनोखी हिंदी फिल्म है जो भगवान शिव के भोलेपन, शादी की शर्तों और टाइम लूप जैसे दिलचस्प कॉन्सेप्ट को जोड़कर दर्शकों के सामने एक नई सोच पेश करती है। बनारस की गलियों से शुरू होकर ये कहानी एक ऐसे लड़के की है जो बार-बार एक ही दिन में फंस जाता है। फिल्म में राजकुमार राव और वामिका गब्बी की एक्टिंग, शादी-ब्याह की उलझनें, महादेव का ट्विस्ट और फैमिली ड्रामा सब कुछ शामिल है। जानिए इस फिल्म में क्या है खास और कहां चूक गई यह कोशिश। पढ़ें हमारा आसान और स्पष्ट रिव्यू।
BY-Sanjeet Choudhary
Story of bhool chuk maaf,भूलचूक माफ कहानी की झलक
फिल्म की कहानी बनारस के एक लड़के की है जो शादी करना चाहता है। लड़की और लड़का दोनों राजी हैं, लेकिन अड़चन बनते हैं लड़की के पिताजी – जिन्हें लड़के से सरकारी नौकरी की मांग है। शादी की शर्त है कि बिना सरकारी नौकरी के बारात को घर में एंट्री नहीं मिलेगी।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब लड़का अनजाने में महादेव के मंदिर में मन्नत माँग लेता है। भोले भगवान शिव उसकी मुराद पूरी कर देते हैं, लेकिन इसके बाद शुरू होता है टाइम लूप का खेल। टाइम लूप का मतलब है कि लड़के को एक ही दिन बार-बार जीना पड़ता है। 29 तारीख को हल्दी होती है, 30 को शादी होनी है, लेकिन हर बार वो 29 को ही वापस पहुँच जाता है। 30 तारीख कभी आती ही नहीं। इस टाइम लूप में वो अपनी किस्मत बदलने की कोशिश करता है, लेकिन क्या वो ऐसा कर पाता है?
फिल्म की खासियत
फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण इसका टाइम लूप कॉन्सेप्ट है। यह एक नया और दिमाग हिलाने वाला आइडिया है। फिल्म में महादेव और गीता के रेफरेंस भी हैं, जो एक साधारण कहानी को 2 घंटे तक देखने लायक बनाते हैं। यह एक पारिवारिक फिल्म है, जो हर तरह के दर्शकों के लिए है। कहानी में आगे क्या होगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल है, और यही इसकी ताकत है।
- कहानी का कॉन्सेप्ट बहुत ही अलग और दिलचस्प है – टाइम लूप, किस्मत बदलने का मौका और शिव के वरदान की उलझन।
- महादेव और गीता के रेफरेंस फिल्म को धार्मिक और दार्शनिक एंगल देते हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।
- यह फिल्म पूरा परिवार मिलकर देख सकता है – कोई आपत्तिजनक या भारी-भरकम सीन नहीं हैं।
कमजोरियां
- फिल्म थोड़ी स्लो है, कई जगहों पर कहानी खिंचती हुई लगती है।
- गाने कमजोर हैं और याद नहीं रहते।
- डायलॉग्स में मज़ा नहीं है और हीरो-हीरोइन के सीन्स बोरिंग लगते हैं।
- Rajkummar Rao (राजकुमार राव ) और Wamiqa Gabbi ( वामिका गब्बी) जैसे कलाकारों से ज्यादा उम्मीदें थीं, लेकिन एक्टिंग में कुछ नया नहीं लगा।
एक्टिंग का हाल
फिल्म में राजकुमार राव और वामिका हैं। राजकुमार मिडिल-क्लास ड्रामा में माहिर हैं, लेकिन बार-बार एक ही तरह का रोल देखकर अब नयापन नहीं लगता। वामिका की ओवरएक्टिंग भी परेशान करती है। जब दोनों साथ में सीन करते हैं, तो वो सीन बोरिंग लगते हैं, लेकिन अलग-अलग सीन में कहानी बेहतर चलती है।
फाइनल बात
फिल्म का विचार अच्छा है, लेकिन उसे दिखाने का तरीका थोड़ा कमजोर रहा। यह फिल्म एक सिंपल, वन टाइम वॉच है – खासकर फैमिली के साथ बैठकर देखने के लिए। न तो यह कोई मास्टरपीस है और न ही कचरा – बस एक औसत लेकिन अलग सोच वाली फिल्म है।
यह फिल्म न तो बहुत खराब है और न ही मास्टरपीस। यह एक बार देखने लायक है, खासकर परिवार के साथ। इसके लिए 5 में से 2.5 स्टार दे सकते हैं। अच्छी बात यह है कि कॉन्सेप्ट नया है और क्लाइमेक्स सोचने पर मजबूर करता है। कमियाँ हैं – फिल्म का एवरेज बनाना, गानों की कमी, और हीरो-हीरोइन के सीन में मज़ा न होना। आप खुद देखें और फैसला करें कि यह कैसी है।
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