भारत ने ट्रंप की धमकी का दिया करारा जवाब: रूस से तेल खरीद पर नहीं झुकेगा भारत

नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025

भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों की दोहरी नीतियों को उजागर करते हुए Donald Trump की हालिया धमकी का कड़ा जवाब दिया है। ट्रंप ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने और उसे रिफाइन कर बेचने के लिए 500% तक टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।

रूस से सस्ता तेल और भारत की रणनीति

2022 में यूक्रेनरूस युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल की आपूर्ति शुरू की। भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का 85% आयात करता है, ने इस अवसर का लाभ उठाया। पहले रूस से केवल 0.2% तेल आयात होता था, जो अब बढ़कर 35-40% हो गया है। भारत इस तेल को रिफाइन कर यूरोप और अमेरिका को निर्यात करता रहा है। पश्चिमी देशों को इसकी जानकारी थी, फिर भी उन्होंने भारत से पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे, क्योंकि उनकी अपनी ऊर्जा जरूरतें थीं।

ट्रंप की धमकी
ट्रंप की धमकी

ट्रंप की धमकी और भारत का जवाब

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत रूस से तेल खरीदकर और उसे बेचकर यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की और इसे और बढ़ाने की बात कही। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर बड़ा मुनाफा कमा रहा है।

इसके जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा रुख अपनाया। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अमेरिका का टैरिफ लगाने का फैसला “अनुचित, भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य” है। भारत ने डेटा के साथ पश्चिमी देशों की पाखंडी नीतियों को उजागर किया।

पश्चिमी देशों की दोहरी नीति

  • यूरोप ने 2024 में रूस से 16.5 मिलियन टन एलएनजी (गैस) खरीदी।
  • अमेरिका आज भी रूस से यूरेनियम, उर्वरक और दूसरी चीजें मंगाता है।
  • यूरोप और रूस के बीच व्यापार 67.5 बिलियन यूरो तक पहुंच गया।

भारत ने बताया कि यूरोपियन यूनियन ने 2024 में रूस के साथ 67.5 बिलियन यूरो का व्यापार किया, जो भारत के कुल रूस व्यापार से कहीं ज्यादा है। यूरोप ने 2024 में रूस से 16.5 मिलियन टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात की, जो युद्ध शुरू होने के बाद भी बढ़ी है। अमेरिका भी रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन जैसी चीजें आयात कर रहा है। भारत ने सवाल उठाया कि अगर ये देश रूस से व्यापार कर सकते हैं, तो भारत पर प्रतिबंध क्यों?

भारत की सोच: आज़ादी और अपने फैसले खुद लेने की ताकत

भारत ने दोहराया कि वह एक संप्रभु राष्ट्र है और अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर फैसले लेगा। रूस भारत का भरोसेमंद ऊर्जा साझेदार रहा है, जो सस्ते दामों पर तेल उपलब्ध कराता है। भारत ने कहा कि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करेगा और अमेरिका, रूस, यूरोप, इजराइल व ग्लोबल साउथ जैसे सभी देशों के साथ संतुलित साझेदारी बनाए रखेगा।

भारत के जवाब
भारत के जवाब
भारत के जवाबी कदम

भारत ने ट्रंप के दबाव का जवाब देने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं:

  1. कूटनीति: भारत सीधे टैरिफ युद्ध में नहीं उलझ रहा। अगस्त 2025 में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि भारत आएंगे, जहां इंडो-यूएस ट्रेड पॉलिसी फोरम के तहत बातचीत होगी।
  2. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ): भारत इस मुद्दे को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र में ले जा रहा है।
  3. स्वदेशी पर जोर: पीएम मोदी ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया है।
  4. नए निर्यात बाजार: भारत अब यूके, यूएई और आसियान देशों जैसे वैकल्पिक निर्यात बाजारों पर ध्यान दे रहा है।
  5. तेल आपूर्ति में विविधता: भारत अन्य देशों से सस्ता तेल आयात करने की संभावनाएं तलाश रहा है।
भारत का संदेश: दबाव में नहीं झुकेगा

भारत ने साफ कर दिया कि वह ट्रंप के दबाव में नहीं झुकेगा। भारत का रुख एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति का है, जो अपनी स्वतंत्रता और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देता है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिका विरोधी नहीं है, बल्कि आपसी सम्मान पर आधारित साझेदारी चाहता है।

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