Iran-Israel War; 7 दिन पूरे, अमेरिका ने अभी तक युद्ध में सीधे हिस्सा क्यू नहीं लिया?

ईरान और इजराइल के बीच युद्ध के सात दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अमेरिका ने अब तक इस संघर्ष में अपनी सीधी भागीदारी शुरू नहीं की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मान रहे हैं कि अभी कुछ समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि हो सकता है इस दौरान कोई सुलह या सीजफायर हो जाए। हालांकि, फिलहाल ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही।

इजराइल ने हाल ही में ईरान के अराक (Arak) में स्थित न्यूक्लियर रिएक्टर को निशाना बनाया

इजराइल ने हाल ही में एक एनिमेशन जारी कर बताया कि उसने ईरान के अराक में स्थित न्यूक्लियर रिएक्टर को निशाना बनाया और उसे तबाह कर दिया। इजराइल का मानना है कि यह रिएक्टर न्यूक्लियर हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी बीच ईरान में लगातार भूकंप आ रहे हैं, हालांकि इसका कारण स्पष्ट नहीं है।

Arak
Arak

इजराइल ने हाल ही में एक बड़े अस्पताल पर भी मिसाइल हमले किए, जिससे भारी नुकसान हुआ है। इस बीच भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कदम उठाए हैं। ऑपरेशन सिंधु के तहत कई भारतीय छात्रों को ईरान और आसपास के क्षेत्रों से निकाला जा रहा है।

ईरान ने कहा है कि सीजफायर होने पर इजराइल को अपनी सैन्य आपूर्ति सुधारने का मौका मिलेगा। वहीं इजराइल का कहना है कि वह ईरान की मौजूदा सरकार को बदलना चाहता है ताकि वहां पश्चिम समर्थित शासन स्थापित हो सके। अगर ऐसा हुआ तो यह क्षेत्र की स्थिरता के लिए अच्छा होगा।

रूस ने भी इस युद्ध पर चिंता जताई है और ईरान में बन रहे न्यूक्लियर प्लांट पर हमला करने की चेतावनी दी है। रूस ने कहा है कि अगर यह प्लांट बमबारी का शिकार हुआ तो चेरनोबिल जैसी त्रासदी हो सकती है। चेरनोबिल त्रासदी में रेडिएशन लीक से बड़ा नुकसान हुआ था।

भारत की चाबहार पोर्ट में 550 मिलियन डॉलर की निवेश भी खतरे में है। भारत ने इजराइल से कहा है कि चाबहार पोर्ट पर हमला न किया जाए क्योंकि इससे भारत की निवेश योजना प्रभावित होगी। चाबहार पोर्ट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण जिओपॉलिटिकल प्रोजेक्ट है, जो भारत को मध्य एशिया और यूरोप से जोड़ता है।

Chabahar Port
Chabahar Port

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान कमजोर हुआ तो क्षेत्र में पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ेगा। हालांकि कुछ का मानना है कि इजराइल का उद्देश्य ईरान के सैन्य बुनियादी ढांचे को खत्म करना है।

इजराइल की हालिया वीडियो में ईरान की सरकार पर कठोर आलोचना की गई है कि वह अपने देश को जेल जैसा बना चुकी है, जहां लोगों के अधिकारों का हनन होता है। इरान के आम लोग क्या इस स्थिति में अपनी सरकार के खिलाफ बगावत करेंगे, यह देखना बाकी है।

अगले दो हफ्ते इस युद्ध की दिशा तय करेंगे कि अमेरिका कितनी गहराई से इसमें शामिल होगा और भारत की चाबहार पोर्ट में निवेश का क्या भविष्य होगा।


Read More News-

Leave a Comment