
By-Sanjeet Choudhary
यूपीआई (Unified Payments Interface) ने भारत में डिजिटल भुगतान को क्रांतिकारी बना दिया है, जिससे लोग बिना नकदी के आसानी से लेनदेन कर पा रहे हैं। हाल ही में, सोशल मीडिया और कुछ खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी (Goods and Services Tax) लगाया जा सकता है, जिससे लोगों में चिंता फैल गई है। लेकिन क्या यह सच है? आइए, इस लेख में हम इस अफवाह की सच्चाई जानते हैं और सरकार के आधिकारिक बयान पर नजर डालते हैं
सबसे पहले बात करें यूपीआई की।
तो यह एक ऐसा पेमेंट सिस्टम है जिससे लोग सीधे बैंक-टू-बैंक पैसे भेजते हैं — जैसे कि Google Pay, PhonePe या Paytm से। इसमें आमतौर पर कोई चार्ज नहीं लगता।

₹2000 से ऊपर के UPI ट्रांजैक्शन पर कोई सर्विस चार्ज लगता है या लगने सरकार लगाने वाली हैं? 18% Gst on UPI
यूपीआई (UPI ) यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस आज हर भारतीय जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है मोबाइल उठाओ स्कैन करो और पेमेंट हो गया ना कैश की जरूरत ना ही किसी कार्ड की।
लेकिन अब एक खबर ने सबको चौंका दिया है कहा जा रहा है कि ₹2000 से ऊपर के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर सरकार 18% जीएसटी लगाने की योजना बना रही है इस खबर के बाद से आम लोगों दुकानदारों और छोटे व्यापारियों के बीच घबराहट है।
इस मुद्दे को पूरी तरह समझिए क्या सीधे ट्रांजैक्शन अमाउंट पर टैक्स लगेगा तो इसका जवाब है । GST ट्रांजैक्शन अमाउंट पर नहीं बल्कि Google Pay PhonePe Paytm जैसे प्लेटफॉर्म्स द्वारा वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज पर जीएसटी लगाया जाएगा ।
अगर आप ₹2000 या उससे ज्यादा की पेमेंट करते हैं और उस पर कोई भी सर्विस चार्ज लगता है तभी उस चार्ज पर 18% जीएसटी लगेगा यूपीआई तो खुद एक बैंक टू बैंक ट्रांसफर सिस्टम है जिसमें आमतौर पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता इसलिए किसी भी आम कस्टमर को किसी भी आम उपभोक्ता को घबराने की जरूरत फिलहाल नहीं है।
क्या इससे Fintech कंपनियों की मुसीबत बढ़ेगी?
अगर यूपीआई पर टैक्स लग गया तो इससे Fintech कंपनियों की ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ जाएगी खासकर उन स्टार्टअप्स के लिए जो लो फीस मॉडल पर काम करते हैं उनका मानना है कि यूपीआई एक सस्ते और सुलभ पेमेंट सिस्टम का सिंबल बन चुका है टैक्स लगने से इसकी लोकप्रियता भी घट सकती है वहीं छोटे शहरों पर भी असर आ सकता है
UPI (यूपीआई) ने भारत की डिजिटल इकॉनमी को एक नई दिशा दी है लेकिन अगर हाई वैल्यू ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लग गया तो TA2 और TA3 शहरों में डिजिटल पेमेंट का विस्तार धीमा हो सकता है हालांकि अभी सरकार की तरफ से कोई भी ऐसा ऐलान कोई भी ऐसी घोषणा नहीं की गई है फिलहाल यह सिर्फ एक प्रस्ताव है जिस पर सरकार विचार कर रही है कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है और जब तक सरकार खुद इसका ऐलान नहीं करती तब तक किसी को भी डरने की जरूरत नहीं।
आम आदमी को अभी घबराने की जरूरत नहीं है।क्योंकि ज़्यादातर ट्रांजैक्शन पर कोई चार्ज नहीं लगता।
क्या सरकार ने यह फैसला किया है?
सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। यह सिर्फ एक प्रस्ताव है जिस पर सरकार विचार कर रही है।
सरकार का उद्देश्य है कि जीएसटी कलेक्शन बढ़ाया जाए और बड़े डिजिटल ट्रांजैक्शन को टैक्स के दायरे में लाया जाए। फरवरी 2025 में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है – करीब 1.84 लाख करोड़।
सरकार अब जीएसटी कलेक्शन को बढ़ाने और बड़े डिजिटल लेनदेन को टैक्स के दायरे में लाने के लिए नए उपाय खोज रही है सरकारी आंकड़ों को देखेंगे तो फरवरी 2025 तक भारत में जीएसटी कलेक्शन काफी बढ़ गया है अगर देखें तो फरवरी 2025 में भारत का जीएसटी कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रहा जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 9.1% ज्यादा है इसमें शामिल सेंट्रल जीएसटी ₹35,204 करोड़ वहीं स्टेट जीएसटी से सरकार को मिले ₹43,704 करोड़ इंटीग्रेटेड जीएसटी यानी आईजीएसटी से आए ₹90,870 करोड़ और कंपनसेशन सेस से आए ₹13,868 करोड़ यानी इससे साफ है कि सरकार टैक्स सिस्टम को और ज्यादा मजबूत करना चाहती है यूपीआई ट्रांजैक्शन पर सीधे टैक्स लगाने की बात फिलहाल तो सच नहीं।

नतीजा:
क्या यूपीआई भुगतान पर 18% जीएसटी है?
अभी यूपीआई (UPI) ट्रांजैक्शन पर कोई टैक्स नहीं लग रहा है। अगर कोई बदलाव होगा भी, तो वह केवल सर्विस चार्ज पर टैक्स के रूप में होगा — न कि आपके द्वारा भेजे गए पैसों पर।
इसलिए अभी घबराने की ज़रूरत नहीं है।
सरकार भविष्य में बदलाव कर सकती है, लेकिन फिलहाल आप बेझिझक यूपीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं।