9 सितंबर 2025 को Israel की वायुसेना ने Qatar की राजधानी दोहा में बड़े पैमाने पर हवाई हमला किया। बताया जा रहा है कि यह हमला हमास के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाकर किया गया था। यह पहली बार है जब इज़राइल ने सीधे कतर की जमीन पर कार्रवाई की। अंतरराष्ट्रीय मंच पर दोहा की छवि एक सुरक्षित और प्रतिष्ठित शहर की रही है, जहाँ फीफा वर्ल्ड कप जैसे बड़े आयोजन हुए हैं। 12 अलग-अलग इलाकों को प्रभावित करने वाले इस हमले ने पूरी दुनिया को चौंका दिया।
Israel का दोहा पर हवाई हमला क्यों हुआ?
इज़राइली सेना के अनुसार, जेरूसलम में हुई एक गोलीबारी में छह इज़राइली नागरिकों की मौत के बाद यह जवाबी कार्रवाई की गई। इज़राइल ने F-35 लड़ाकू विमानों से लगभग 2000 किलोमीटर की दूरी तय कर हमास नेताओं की बैठक को निशाना बनाया। रिपोर्ट के मुताबिक हमास के प्रमुख वार्ताकार खलील अल-हय्या सहित कई नेता उस बैठक में मौजूद थे, जहाँ गाजा युद्धविराम पर चर्चा हो रही थी।
इज़राइल का दावा है कि उसने अपने लक्ष्य भेद दिए, जबकि हमास ने कहा कि उसके वरिष्ठ नेता सुरक्षित हैं और केवल पांच सदस्यों की मौत हुई। इस हमले में कतर की आंतरिक सुरक्षा बल का एक जवान भी मारा गया और कई लोग घायल हुए।
Qatar की प्रतिक्रिया
कतर ने इस हमले को “कायरतापूर्ण” और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करार देते हुए कड़ी निंदा की। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह हमला क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे कतर की संप्रभुता का उल्लंघन बताया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान जैसे देशों ने भी इस हमले की आलोचना की। अमेरिका ने बयान दिया कि सहयोगी देश पर इस तरह का हमला शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुँचाता है।
कतर की सैन्य क्षमता
कतर की आबादी भले ही 30 लाख से कम है, लेकिन इसकी वायुसेना आधुनिक हथियारों से लैस है। कतर के पास 36 राफेल जेट, 24 यूरोफाइटर टाइफून और F-15EX ईगल II जैसे विमान हैं। साथ ही, कतर ने अमेरिकी सैनिकों द्वारा संचालित अल उदेद एयरबेस पर पेट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात कर रखा है। इस सिस्टम ने पहले ईरानी मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया था।
इसके बावजूद, इज़राइली विमान कतर के हवाई क्षेत्र में घुसकर हमला करने में सफल रहे। इसने कतर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वैश्विक असर
दोहा को अब तक “मध्य पूर्व का स्विट्जरलैंड” कहा जाता था क्योंकि कतर ने हमेशा विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। 1990 के दशक से कतर अफगानिस्तान में तालिबान-अमेरिका वार्ता और रूस-यूक्रेन जैसे मुद्दों में मध्यस्थता करता रहा है। इस हमले ने कतर की उस छवि को झटका दिया है।
निवेशकों में भी यह संदेश गया है कि कतर अब सुरक्षित नहीं रहा। इज़राइल ने इसे संभावित निशाना बना दिया है, जिससे विदेशी निवेश कम हो सकता है।
अमेरिका की भूमिका पर सवाल
यह हमला उस समय हुआ जब ट्रंप प्रशासन ने हमास को बंधकों की रिहाई के लिए अल्टीमेटम दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी अनुमति के बिना यह हमला संभव नहीं था। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इसे “गलत कदम” बताया और कहा कि इससे शांति प्रयासों को नुकसान होगा।
अरब देश अब चीन जैसे नए साझेदारों की ओर रुख कर सकते हैं। यह घटना अमेरिका की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है, खासकर तब जब कतर ने अमेरिकी हथियार खरीदे और बड़े स्तर पर सहयोग किया।
निष्कर्ष
दोहा पर इज़राइली हवाई हमला न केवल कतर बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर संकेत है। कतर की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि को इससे बड़ा नुकसान पहुँचा है। यह घटना अमेरिका और अरब देशों के रिश्तों में दरार ला सकती है और क्षेत्रीय स्थिरता को हिला सकती है।