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Semicon India 2025 : भारत की पहली स्वदेशी चिप ‘विक्रम’ लॉन्च | ISRO और SCL की बड़ी उपलब्धि

भारत ने Semicon India 2025 में अपनी पहली स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर चिप ‘विक्रम’ लॉन्च की। ISRO और SCL द्वारा विकसित यह चिप अंतरिक्ष व रक्षा मिशनों के लिए तैयार की गई है। जानें इसकी खासियतें, उपयोग और भारत की सेमीकंडक्टर मिशन रूपरेखा।

‘विक्रम’ चिप क्यों खास है?

इस चिप को भारत के महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसे खासतौर पर अंतरिक्ष मिशनों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।

साफ है कि यह चिप भारत के अंतरिक्ष अभियानों को और मज़बूत बनाने के लिए तैयार की गई है।

Semicon India 2025: विक्रम चिप

किन क्षेत्रों में होगा इस्तेमाल?

‘विक्रम’ चिप का मुख्य उपयोग तीन बड़े क्षेत्रों में किया जाएगा:

  1. अंतरिक्ष मिशन: इसरो के रॉकेट और सैटेलाइट में नेविगेशन और डेटा प्रोसेसिंग के लिए।
  2. रक्षा क्षेत्र: मिसाइल गाइडेंस सिस्टम और अन्य उच्चस्तरीय रक्षा उपकरणों में।
  3. न्यूक्लियर मॉनिटरिंग: परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा और निगरानी के लिए।

हालाँकि, यह चिप स्मार्टफोन या रोज़मर्रा के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए उपयुक्त नहीं है। मोबाइल जैसे उपकरणों में आजकल 3-5 नैनोमीटर की अत्याधुनिक चिप्स का इस्तेमाल होता है। फिर भी, यह उपलब्धि भारत को अंतरिक्ष और रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने में अहम साबित होगी।

Semicon India 2025 सम्मेलन

इस सम्मेलन में 18 देशों की कंपनियों और 10,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। यह बताता है कि भारत सेमीकंडक्टर उद्योग में तेजी से एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है।

भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन की दिशा

भारत ने साल 2021 में सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत की थी। इसका मकसद है देश को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख चिप निर्माता बनाना।

इस मिशन के तीन बड़े लक्ष्य हैं:

सरकार इस मिशन के लिए 76,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। गुजरात, असम, कर्नाटक, ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े स्तर पर फैब्रिकेशन प्लांट और टेस्टिंग यूनिट्स स्थापित किए जा रहे हैं।

चिप डिज़ाइन और निर्माण में प्रगति
भारत को क्या फायदे होंगे?
  1. आत्मनिर्भरता: ‘विक्रम’ चिप से अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी।
  2. आर्थिक बचत: अभी भारत हर साल लगभग 25-30 अरब डॉलर की चिप्स आयात करता है। स्वदेशी निर्माण से यह खर्च घटेगा।
  3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा: अमेरिका और चीन के बीच चिप विवाद के दौर में भारत एक विश्वसनीय विकल्प बन सकता है।
  4. विदेशी निवेश: इंटेल, क्वालकॉम और फॉक्सकॉन जैसी दिग्गज कंपनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण

चिप लॉन्च के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा—
“वह दिन दूर नहीं जब भारत की सबसे छोटी चिप दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव लाएगी।”

यह बयान भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है।

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