भारत ने चीन की PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल को डिकोड कर लिया है। DRDO ने यह डेटा जापान के साथ शेयर करना शुरू कर दिया है। अब ताइवान ने भी इस तकनीकी जानकारी की मांग की है। जानिए इस डिफेंस डेवेलपमेंट के पीछे की पूरी कहानी।
भारत ने चीन की एडवांस PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल का मलबा हासिल कर लिया है और उसे स्क्रैप में बदलना शुरू कर दिया है। जैसे ही यह खबर सामने आई, अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे कई देशों ने भारत से इस मिसाइल का डेटा मांगा। उस वक्त की तस्वीरों और रिपोर्ट्स में यह साफ देखा गया था कि फाइव आईज देशों, फ्रांस और जापान ने भारत से जानकारी पाने के लिए कतार लगा दी थी।
Edit-Sanjeet Choudhary
बड़ी खबर – भारत ने जापान के साथ साझा किया मिसाइल डेटा
भारत के रक्षा अनुसंधान संगठन DRDO ने PL-15 मिसाइल के सिस्टम और तकनीक को डिकोड कर लिया है। अब यह डेटा जापान के रक्षा विशेषज्ञों और इंजीनियरों के साथ शेयर किया जा रहा है। यह खबर दो जगहों पर प्रमुखता से छपी – खासकर “Japan Weapon Experts Seize Strategic Edge in Global Race to Uncover Secrets of China’s PL-15 BVR Missile” नाम की रिपोर्ट में इसका जिक्र है। इसके अलावा, ताइवान ने भी अब इस डेटा को मांगना शुरू कर दिया
PL-15 मिसाइल का मामला क्या है?
जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, तब पाकिस्तान ने चीन की बनी हुई PL-15 मिसाइलें भारत की ओर दागीं। लेकिन ये मिसाइलें नाकाम रहीं। कुछ को भारतीय एयर डिफेंस ने रोक लिया और कुछ मिसाइलें तो बिना फटे सीधे भारतीय इलाके में गिर गईं।
इन मिसाइलों का स्क्रैप पंजाब के होशियारपुर जिले में मिला। ऑपरेशन खत्म होने के बाद DRDO ने इन मिसाइलों को कब्जे में ले लिया। चूंकि मिसाइलें लगभग सही हालत में थीं, भारत को उनके प्रोपल्शन सिस्टम, डेटा लिंक, रडार सीकर और कई तकनीकी हिस्सों की जानकारी मिल गई। इससे चीन की मिसाइल तकनीक को समझने का शानदार मौका मिला।
दुनिया भर की दिलचस्पी
इस जानकारी के सामने आते ही कई देश भारत के पास आए और इस मिसाइल के डेटा की मांग की। अमेरिका, कनाडा, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने कहा कि वे भी इस तकनीक को समझना चाहते हैं।
जापान इस मामले में सबसे ज्यादा उत्सुक था, क्योंकि उसका चीन के साथ लगातार ईस्ट चाइना सी और इंडो-पैसिफिक इलाके में टकराव रहता है।
भारत और जापान के बीच तकनीकी सहयोग
अब भारत ने जापान के रडार इंजीनियरों और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर एक्सपर्ट्स के साथ PL-15 का डेटा शेयर करना शुरू कर दिया है। इसमें मिसाइल की दिशा-निर्देशन प्रणाली, डेटा लिंक की सुरक्षा, जैमिंग तकनीक और टारगेट पकड़ने के तरीके जैसी कई अहम जानकारियाँ शामिल हैं।
भारत को क्या फायदा?
भारत ने यह डेटा क्यों दिया – इसका कोई आधिकारिक कारण तो नहीं बताया गया है, लेकिन कुछ संभावनाएं हैं:
- जापान को मदद मिलेगी: वह अपनी 4B एयर-टू-एयर मिसाइल विकसित कर रहा है, इस डेटा से उसे तकनीकी लाभ मिलेगा।
- भारत को भी फायदा होगा: जापान जो सीखेगा, वो जानकारी भारत के साथ साझा की जाएगी। इससे भारत अपनी अस्त्र मिसाइल (Mark-2 और Mark-3) को और बेहतर बना सकेगा।
- रणनीतिक दबाव: भारत और जापान मिलकर चीन पर इंडो-पैसिफिक और साउथ चाइना सी जैसे इलाकों में दबाव बना सकते हैं।
Taiwan India missile data; ताइवान ने भी जताई रुचि
चीन से सीधे टकराव झेल रहा ताइवान भी अब इस डेटा को मांग रहा है। उनके सैन्य अधिकारी कहते हैं कि अगर उन्हें PL-15 की तकनीकी जानकारी मिलती है, तो वे चीन की मिसाइलों के खिलाफ बेहतर तैयारी कर सकेंगे और अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत बना पाएंगे।
ताइवान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का खुलकर समर्थन किया था, इसलिए अब देखना यह होगा कि भारत ताइवान के साथ यह तकनीकी जानकारी साझा करता है या नहीं।
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