Thailand v/s Combadia के बीच हालिया सीमा संघर्ष ने दक्षिण-पूर्व एशिया को एक नई भू-राजनीतिक उथल-पुथल की ओर धकेल दिया है। यह टकराव प्राचीन हिंदू मंदिर ‘Preah Vihear’ के क्षेत्र को लेकर हुआ है, जिसे दोनों देश अपना मानते हैं।यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और दोनों देशों के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। भारतीय परिप्रेक्ष्य से यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मंदिर हजार साल पुराना है और इसका निर्माण भारतीय प्रभाव से हुआ था। वर्तमान में यह संघर्ष एक प्रॉक्सी वॉर का रूप ले चुका है—जहां थाईलैंड को America का समर्थन है, वहीं कंबोडिया को China and Pakistan का समर्थन प्राप्त है। दोनों देशों ने सीमा सील, राजनयिक संबंध खत्म, और सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। थाईलैंड ने F-16 फाइटर जेट तक तैनात कर दिए हैं।
Thailand v/s Combadia
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद का मूल प्रीह वीहेयर मंदिर और इसके आसपास का क्षेत्र है, जो दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थित है। यह विवाद 100 साल से भी पुराना है। मंदिर को लेकर दोनों देशों ने कई दशकों तक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमे लड़े हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों इस मंदिर पर अपना दावा करते हैं, क्योंकि यह उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है।
हाल के वर्षों में यह क्षेत्र फिर से तनाव का केंद्र बन गया है। थाईलैंड ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य टुकड़ियां तैनात की थीं, जिसके जवाब में कंबोडिया ने भी सैन्य कार्रवाई शुरू की। हाल ही में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद स्थिति और बिगड़ गई। कंबोडिया ने थाईलैंड पर जवाबी हमले शुरू किए, और थाईलैंड ने अमेरिका के समर्थन से F-16 फाइटर जेट्स का उपयोग शुरू कर दिया। अब तक 13 नागरिक और एक थाई सैनिक की मौत हो चुकी है। दोनों देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं और अपने-अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है।
प्रॉक्सी वॉर: USA v/s China
यह संघर्ष केवल थाईलैंड और कंबोडिया के बीच का नहीं है, बल्कि यह एक प्रॉक्सी वॉर का रूप ले चुका है। थाईलैंड को अमेरिका का खुला समर्थन प्राप्त है, जबकि कंबोडिया को चीन और पाकिस्तान का समर्थन मिल रहा है।
- थाईलैंड: अमेरिका ने थाईलैंड को सैन्य और तकनीकी सहायता प्रदान की है। F-16 फाइटर जेट्स का उपयोग इस बात का सबूत है कि थाईलैंड को अमेरिका का पूर्ण समर्थन प्राप्त है। थाईलैंड की अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति कंबोडिया से कहीं अधिक मजबूत है।
- कंबोडिया: कंबोडिया को चीन का समर्थन प्राप्त है, जो इसे सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। 2019 में पाकिस्तान ने भी कंबोडियाई सेना को प्रशिक्षण देने की पेशकश की थी। हाल ही में यह खबर आई थी कि चीन ने कंबोडिया में एक स्थायी सैन्य अड्डा स्थापित किया है, हालांकि चीन इसे केवल लॉजिस्टिक्स और प्रशिक्षण केंद्र बताता है।
यह प्रॉक्सी वॉर दक्षिण-पूर्व एशिया में अमेरिका और चीन के बीच प्रभाव बढ़ाने की होड़ का हिस्सा है। चीन का लक्ष्य है कि कंबोडिया और वियतनाम जैसे देश प्रो-चीन बनें, जबकि अमेरिका थाईलैंड के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
दोनों देशों की तुलना
जनसंख्या और अर्थव्यवस्था
- थाईलैंड:
- जनसंख्या: लगभग 7.2 करोड़
- नाममात्र जीडीपी: 570 बिलियन डॉलर
- रक्षा बजट: 6 बिलियन डॉलर
- कंबोडिया:
- जनसंख्या: लगभग 1.7-1.8 करोड़
- नाममात्र जीडीपी: 33 बिलियन डॉलर
- रक्षा बजट: 600 मिलियन डॉलर
थाईलैंड की अर्थव्यवस्था और सैन्य बजट कंबोडिया से कई गुना बड़ा है। थाईलैंड की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से भी बड़ी है, जो इसे क्षेत्रीय शक्ति बनाती है।
सैन्य शक्ति
थाईलैंड
- सेना (आर्मी): थाईलैंड की सेना, रॉयल थाई आर्मी, में लगभग 2,50,000 सक्रिय सैनिक हैं। यह आधुनिक हथियारों और टैंकों से लैस है, जिसमें अमेरिका और यूरोप से खरीदे गए उपकरण शामिल हैं। थाईलैंड के पास M60 और T-84 टैंक हैं, जो क्षेत्र में काफी प्रभावी हैं।
- वायुसेना (एयर फोर्स): रॉयल थाई एयर फोर्स के पास F-16 फाइटर जेट्स, ग्रिपेन जेट्स और अन्य आधुनिक विमान हैं। हाल ही में F-16 का उपयोग कंबोडिया के खिलाफ हमलों में किया गया है।
- नौसेना (नेवी): रॉयल थाई नेवी दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे मजबूत नौसेनाओं में से एक है। इसके पास फ्रिगेट्स, कोरवेट्स, और पनडुब्बियां हैं। थाईलैंड ने हाल ही में चीन से पनडुब्बियां खरीदने का सौदा भी किया है, हालांकि यह विवादास्पद रहा है।
कंबोडिया
- सेना (आर्मी): कंबोडियाई सेना, रॉयल कंबोडियन आर्म्ड फोर्सेज, में लगभग 1,25,000 सक्रिय सैनिक हैं। यह थाईलैंड की तुलना में कमजोर है और पुराने सोवियत-युग के हथियारों पर निर्भर है। चीन और पाकिस्तान ने इसे आधुनिक बनाने की कोशिश की है।
- वायुसेना (एयर फोर्स): कंबोडिया की वायुसेना बहुत सीमित है। इसके पास कुछ पुराने मिग-21 विमान और हेलीकॉप्टर हैं, जो थाईलैंड की वायुसेना के सामने कोई मुकाबला नहीं कर सकते।
- नौसेना (नेवी): कंबोडिया की नौसेना छोटी है और मुख्य रूप से तटीय सुरक्षा के लिए है। इसके पास कुछ गश्ती नौकाएं हैं, जो चीन से प्राप्त हुई हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक समानताएं
दोनों देशों में 90% से अधिक आबादी बौद्ध धर्म का पालन करती है। हालांकि, प्रीह वीहेयर मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो खमेर साम्राज्य के समय बनाया गया था। इसका निर्माण 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था, और इसमें भारतीय वास्तुकला का प्रभाव स्पष्ट है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और दोनों देशों के लिए सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
प्रीह वीहेयर मंदिर का महत्व
प्रीह वीहेयर मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर डांग्रेक पर्वत श्रृंखला में स्थित है। मंदिर का स्वामित्व और क्षेत्रीय नियंत्रण दोनों देशों के बीच विवाद का कारण रहा है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला दिया था कि मंदिर कंबोडिया का है, लेकिन आसपास का क्षेत्र अभी भी विवादित है।
भारतीय परिप्रेक्ष्य से यह मंदिर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय सांस्कृतिक प्रभाव का प्रतीक है। मंदिर की वास्तुकला और मूर्तियां दक्षिण भारत के मंदिरों से मिलती-जुलती हैं। कई भारतीय विद्वानों और इतिहासकारों ने इस मंदिर पर शोध किया है और इसके निर्माण में भारतीय कारीगरों के योगदान की बात कही है।
वर्तमान स्थिति
- सैन्य तनाव: थाईलैंड ने F-16 फाइटर जेट्स से कंबोडिया पर हमले किए हैं, जिसके जवाब में कंबोडिया ने भी गोलीबारी शुरू की है। दोनों देशों के सैनिक विवादित क्षेत्र में आमने-सामने हैं।
- नागरिक हताहत: अब तक 13 नागरिकों की मौत हो चुकी है, और दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामकता का आरोप लगा रहे हैं।
- कूटनीतिक कदम: दोनों देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं और राजदूतों को वापस बुला लिया है। विश्व समुदाय यह देख रहा है कि क्या यह संघर्ष औपचारिक युद्ध की घोषणा तक पहुंचेगा।
भविष्य की संभावनाएं
यह संघर्ष केवल थाईलैंड और कंबोडिया तक सीमित नहीं है। यह अमेरिका और चीन के बीच एक प्रॉक्सी वॉर का हिस्सा है। यदि यह तनाव बढ़ता है, तो यह दक्षिण-पूर्व एशिया में एक बड़े युद्ध का कारण बन सकता है।
- थाईलैंड की स्थिति: थाईलैंड की सैन्य और आर्थिक शक्ति, साथ ही अमेरिका का समर्थन, इसे इस संघर्ष में मजबूत स्थिति में रखता है। थाईलैंड संभवतः विवादित क्षेत्र और मंदिर पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश करेगा।
- कंबोडिया की स्थिति: कंबोडिया की कमजोर अर्थव्यवस्था और सीमित सैन्य शक्ति इसे थाईलैंड के सामने कमजोर बनाती है। हालांकि, चीन का समर्थन इसे कुछ हद तक टिकने में मदद कर सकता है। सवाल यह है कि क्या चीन अपनी सैन्य टुकड़ियां कंबोडिया की रक्षा के लिए भेजेगा।
- क्षेत्रीय प्रभाव: इस संघर्ष का परिणाम दक्षिण-पूर्व एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगा। जो भी देश इस प्रॉक्सी वॉर में जीतेगा, वह इस क्षेत्र में कई दशकों तक प्रभावशाली रहेगा।
❓ FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल।
1. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद किस बात को लेकर है?
विवाद का मुख्य कारण प्रेह विहियर मंदिर है, जो एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से विवादित रहा है और दोनों देश इसे अपनी जमीन मानते हैं।
2. क्या यह सिर्फ सीमा विवाद है या कुछ और भी चल रहा है?
नहीं, यह सिर्फ सीमा विवाद नहीं है। यह एक प्रॉक्सी युद्ध बन चुका है, जिसमें अमेरिका थाईलैंड को और चीन-पाकिस्तान कंबोडिया को समर्थन दे रहे हैं।
3. क्या दोनों देशों में युद्ध घोषित हो चुका है?
अब तक औपचारिक युद्ध की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर भिड़ रही हैं और हवाई हमले भी हो चुके हैं।
4. कौन-सा देश ज्यादा ताकतवर है इस संघर्ष में?
थाईलैंड सैन्य, आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से कंबोडिया से काफी आगे है। उसके पास F-16 जेट, आधुनिक टैंक और आर्टिलरी हैं। कंबोडिया के पास सीमित संसाधन हैं लेकिन उसे चीन और पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है।
5. भारत का इस विवाद से क्या संबंध है?
प्रत्यक्ष रूप से भारत शामिल नहीं है, लेकिन प्रेह विहियर मंदिर भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जुड़ा है। साथ ही भारत ASEAN का रणनीतिक साझेदार है, इसलिए यह क्षेत्रीय शांति में रुचि रखता है।
6. क्या इस संघर्ष का असर दक्षिण एशिया या विश्व पर पड़ेगा?
हाँ, यदि यह टकराव बढ़ा तो दक्षिण चीन सागर, ASEAN क्षेत्र और एशिया में चीन-अमेरिका शक्ति संतुलन पर गहरा असर पड़ेगा।
7. क्या UN या ASEAN इस विवाद में कोई भूमिका निभा रहा है?
संयुक्त राष्ट्र (UN) और ASEAN दोनों ही शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल यह संघर्ष नियंत्रण में रखने की कोशिश हो रही है।