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Tehran Movie Review (2025) – Zee5 पर इजराइल और ईरान के टकराव की कहानी

Zee5 पर रिलीज़ हुई फिल्म Tehran एक जियोपॉलिटिकल थ्रिलर है, जिसमें इजराइल और ईरान के बीच के तनाव को पर्दे पर दिखाया गया है। अच्छी बात यह है कि इस बार किसी देशभक्ति फिल्म में भारत-पाकिस्तान के टकराव से आगे बढ़कर एक नया विषय चुना गया है।

कहानी में भारत भी इस अंतरराष्ट्रीय टकराव के बीच फंसता है, और यहीं से फिल्म में सस्पेंस शुरू होता है। 1 घंटे 55 मिनट की इस फिल्म में कई शानदार लोकेशन, डिटेलिंग और एक्शन सीन हैं, लेकिन क्या यह फिल्म आपको आखिर तक बांधे रख पाती है? आइए जानते हैं।

Tehran कि कहानी

फिल्म की कहानी का बैकग्राउंड इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर आधारित है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे राजनीतिक और खुफिया एजेंसियों की खींचतान में भारत भी अनजाने में शामिल हो जाता है।
शुरुआत में फिल्म की पेसिंग अच्छी है। खासकर शुरुआती ब्लास्ट सीन को काफी असरदार तरीके से फिल्माया गया है। यहां से दर्शक को उम्मीद बनती है कि आगे कहानी और रोमांचक होगी।

लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, इसकी पकड़ ढीली पड़ने लगती है। जब जॉन अब्राहम का किरदार तेहरान पहुंचता है, तो कहानी का ट्रीटमेंट कमजोर हो जाता है। कई सीन ऐसे हैं, जिन्हें बेहतर तरीके से लिखा और फिल्माया जा सकता था।

Tehran

Tehran पॉज़िटिव पॉइंट्स

  1. अलग विषय – भारत-पाकिस्तान के इर्द-गिर्द घूमने वाली फिल्मों के बजाय इस बार इजराइल-ईरान का मुद्दा चुना गया है, जो ताज़गी भरा है।
  2. लोकेशन और सिनेमेटोग्राफी – मुंबई की रातों से लेकर तेहरान की गलियों तक, कैमरे का काम शानदार है।
  3. रियलिस्टिक डिटेलिंग – फिल्म में स्थानीय भाषाओं जैसे हिब्रू और फारसी का इस्तेमाल किया गया है, जो कहानी को असली एहसास देता है।
  4. जॉन अब्राहम का अभिनय – उन्होंने बिना ज़्यादा शोर-शराबे के, एक सधी हुई एक्टिंग की है। उनका साइलेंट और कंट्रोल्ड परफॉर्मेंस फिल्म की खासियत है।

Tehran नेगेटिव पॉइंट्स

  1. कमज़ोर इमोशनल कनेक्शन – फिल्म में कई मौके ऐसे हैं, जहां दर्शक को भावनात्मक रूप से जुड़ना चाहिए था, लेकिन वो जुड़ाव महसूस नहीं होता।
  2. कहानी की गिरती पेस – शुरुआती आधा घंटा अच्छा है, लेकिन बाद में फिल्म अपनी पकड़ खो देती है।
  3. भाषा का अवरोध – हिब्रू और फारसी का इस्तेमाल सही है, लेकिन हिंदी डब देखने वाले दर्शकों के लिए यह थोड़ा डिसकनेक्ट पैदा कर सकता है।
  4. सपोर्टिंग कास्ट का कम उपयोग – नीरू बाजवा जैसी प्रतिभाशाली एक्ट्रेस को कम स्क्रीन टाइम मिला।
  5. लॉजिक की कमी – कुछ सीन ऐसे हैं, जो कहानी की सच्चाई या व्यवहारिकता पर सवाल उठाते हैं।

Tehran Release Date?

फिल्म का प्रीमियर 14 अगस्त 2025 को ZEE5 पर किया गया था।

अभिनय

निर्देशन और प्रोडक्शन

निर्देशन के स्तर पर फिल्म अच्छी दिखती है। हाई बजट का असर लोकेशन, सेट डिज़ाइन और एक्शन सीन में झलकता है। मुंबई और तेहरान की शूटिंग विजुअली शानदार है।
हालांकि, कहानी की कमजोरी और धीमी पेस के कारण यह तकनीकी खूबसूरती दर्शक को लंबे समय तक बांध नहीं पाती।

कहां रह गई कमी

“तेहरान” का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट इसका नया और इंटरनेशनल विषय है। लेकिन फिल्म की असली कमजोरी है – कंटेंट और इमोशन की कमी
जब किसी देश का नाम और जंग का माहौल हो, तो दर्शक को देशभक्ति, थ्रिल और इमोशनल इंपैक्ट तीनों चाहिए होते हैं। यहां यह तीनों चीजें अधूरी रह जाती हैं।

इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बनाई गई फिल्मों में अक्सर यह देखा जाता है कि निर्माता यह सोचकर कंटेंट बनाते हैं कि दर्शक “कुछ भी देख लेंगे”। इस सोच का असर यहां भी दिखता है।

देखें या छोड़ें?

अगर आपको जियोपॉलिटिकल विषय पसंद हैं और आप लोकेशन, डिटेलिंग और थोड़े-बहुत एक्शन के लिए फिल्म देखना चाहते हैं, तो एक बार इसे Zee5 पर देख सकते हैं।
लेकिन अगर आप गहरी कहानी, इमोशनल कनेक्शन और मजबूत थ्रिल की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म शायद आपको निराश कर दे।

अंतिम फैसला

“तेहरान” में एक बड़ी और असरदार फिल्म बनने की पूरी संभावना थी, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट, ढीली पेसिंग और इमोशनल जुड़ाव की कमी ने इसे साधारण बना दिया।
जॉन अब्राहम की ईमानदार एक्टिंग और इंटरनेशनल विषय इसकी मजबूती हैं, लेकिन सिर्फ इन्हीं के दम पर फिल्म को यादगार नहीं कहा जा सकता।

रेटिंग: ⭐⭐☆☆☆ (2/5)

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