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The Bengal Files Movie( 2025 ): Direct Action Day, ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स और विभाजन की सच्चाई

The Bengal Files Release Date-5 सितंबर 2025
बंगाल फाइल्स ट्रेलर भारत के इतिहास के सबसे काले अध्याय डायरेक्ट एक्शन डे (1946) और ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स को उजागर करता है। जानिए कैसे यह फिल्म राजनीति, हिंसा और मानवीय दर्द को दिखाती है और क्यों यह आज भी प्रासंगिक है।

The Bengal Files: ट्रेलर की झलक

विवेक अग्निहोत्री, जो द कश्मीर फाइल्स जैसी चर्चित फिल्म बना चुके हैं, अब एक और दर्दनाक सच्चाई को पर्दे पर ला रहे हैं। बंगाल फाइल्स” का ट्रेलर इतिहास और वर्तमान के बीच पुल बनाने की कोशिश करता है।

ट्रेलर की शुरुआत तुष्टिकरण की राजनीति पर कटाक्ष से होती है। गांधी और जिन्ना के बीच बातचीत दिखाई गई है, लेकिन जिन्ना की ज़िद और कट्टरता के सामने गांधी असहाय लगते हैं। गोपाल पाथा का किरदार हिंदुओं की सुरक्षा के लिए खड़ा होता है और सीधा आरोप लगाता है कि गांधी की अहिंसा ने हिंदुओं को असुरक्षित बना दिया।

एक बेहद असरदार दृश्य में स्वामी विवेकानंद का कथन दिखाया गया है – “सबसे बड़ा पाप है खुद को कमजोर समझना। यह डायलॉग सीधे दर्शकों के दिल में उतर जाता है और सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम आज भी मानसिक रूप से कमजोर हैं?

The Bengal Files

Bengal Files‘s Cast & Acting

फिल्म की स्टारकास्ट भी काफी मजबूत है।

बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमैटोग्राफी भी कहानी को और जीवंत बनाते हैं।

बंगाल फाइल्स: आज़ादी से पहले का नरसंहार और सिनेमा का आईना

भारत का इतिहास जितना गौरवशाली है, उतना ही कुछ पन्नों में दर्द और त्रासदी भी समाई हुई है। 15 अगस्त 1947 को देश को आज़ादी मिली, लेकिन ठीक एक साल पहले 16 अगस्त 1946 को देश के एक बड़े हिस्से ने खून-खराबे का ऐसा मंजर देखा जिसने इंसानियत को हिला दिया। इस दिन को इतिहास में डायरेक्ट एक्शन डे” और ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स” के नाम से याद किया जाता है।

1940 का दशक भारत के लिए निर्णायक समय था। अंग्रेज़ी हुकूमत कमज़ोर हो चुकी थी और स्वतंत्रता आंदोलन तेज़ी से बढ़ रहा था। गांधी, नेहरू और पटेल जैसे नेता एक संयुक्त भारत का सपना देख रहे थे। दूसरी ओर, मुहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग पर अड़े थे।

ब्रिटिशers ने हमेशा की तरह डिवाइड एंड रूल” की नीति अपनाई और दोनों समुदायों के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो गई। जिन्ना ने ब्रिटिश सरकार को धमकी दी कि अगर पाकिस्तान नहीं दिया गया, तो वे डायरेक्ट एक्शन करेंगे। इस ऐलान के बाद 16 अगस्त 1946 को कोलकाता में हिंसा भड़क उठी।

तीन दिनों तक शहर में खून की नदियां बहती रहीं। हजारों लोग मारे गए, महिलाएं शिकार बनीं और घर-परिवार उजड़ गए। इतिहासकारों का मानना है कि लगभग 4,000 से 10,000 लोग इस नरसंहार में मारे गए थे। इस घटना ने साफ कर दिया कि भारत का बंटवारा अब तय है।

ग्रेट कलकत्ता किलिंग: इंसानियत की सबसे काली तस्वीर

डायरेक्ट एक्शन डे सिर्फ एक दंगा नहीं था, बल्कि सुनियोजित हिंसा थी। मुस्लिम लीग ने रैलियां कीं, उग्र भाषण दिए और हिंसा भड़क गई। हिंदू समुदाय पर सबसे ज्यादा हमले हुए, लेकिन इसका असर दोनों ओर दिखाई दिया।

इसी दौरान गोपाल चंद्र मुखर्जी (जिन्हें गोपाल पाथा कहा जाता था) ने हिंदुओं की रक्षा के लिए संगठन बनाया और जवाबी कार्रवाई की। यह घटना न केवल धार्मिक उन्माद का परिणाम थी बल्कि इसने यह भी साबित किया कि जब राजनीति धर्म के आधार पर की जाती है, तो सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है।

गांधी जी की अहिंसा की नीति पर भी सवाल उठे। क्या अहिंसा उस दौर में कारगर रही? या हिंसा को रोकने में पूरी तरह असफल रही? यह प्रश्न आज भी इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों के बीच चर्चा का विषय है।

आज के दौर में क्यों ज़रूरी है यह फिल्म?

आज जब देश फिर से धार्मिक ध्रुवीकरण, दंगों और राजनीतिक तुष्टिकरण जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, बंगाल फाइल्स हमें चेतावनी देती है कि इतिहास से सबक लेना बेहद जरूरी है।

फिल्म यह सवाल उठाती है कि क्या हमने अतीत से कुछ सीखा है? या हम वही गलतियां दोहरा रहे हैं? विवेक अग्निहोत्री की पिछली फिल्मों की तरह इस पर भी प्रोपेगेंडा का आरोप लग सकता है, लेकिन एक सच्चाई यह है कि इन फिल्मों के ज़रिए उन ऐतिहासिक घटनाओं को चर्चा में लाया जाता है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

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